रायपुर //-प्राथमिक एवं मिडिल स्कूलों में शालाओं के रखरखाव, भवनों की लिपाई पुताई, सामग्री क्रय, शौचालय में टाइल्स लगाना, व्यवस्था दुरुस्त करना, स्टेशनरी सामग्री खरीदी एवं अन्य व्यवस्था दुरुस्त करने के संबंध में स्कूलों में दर्ज संख्या के अनुपात में लगभग 25 से 50 हजार रुपए की राशि शाला अनुदान के रूप में प्रतिवर्ष प्राप्त होता है।
परंतु उक्त राशि के आहरण नियमो को सरकार ने काफी जटिल बना दिया है जिससे ऐसा प्रतीत होता है कि राज्य सरकार को प्रधान पाठकों पर जरा भी विश्वास ही नहीं है।
उपरोक्त मामले में अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए “छत्तीसगढ़ प्राथमिक प्रधान पाठक/यूडीटी मंच” एवं “शिक्षक एलबी संवर्ग छत्तीसगढ़” के प्रदेश अध्यक्ष जाकेश साहू, कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष परसराम निषाद, जिलाध्यक्ष गण परमेश्वर साहू, महेश्वर कोटपरीहा, सुनील कुमार गुप्ता, महेंद्र टंडन, बरतराम रत्नाकर, धन्नूराम साहू, सीताराम मिश्रा, तबरेज खान, पुरुषोत्तम शर्मा, उत्तम कुमार जोशी सहित अन्य पदाधिकारियों ने कहा है कि स्कूलों की व्यवस्था ठीक करने हेतु शाला अनुदान के लिए प्रदान की गई राशि को आहरण करने का नियम सरल होनी चाहिए। जिससे संस्था प्रमुख द्वारा उक्त राशि को आसानी से निकालकर संबंधित कार्यों के लिए व्यय किया जा सके।
संगठन के प्रदेश अध्यक्ष जाकेश साहू ने मीडिया को दिए बयान में कहा है कि राशि आहरण का नियम काफी जटिल होने से प्रधान पाठकों को काफी व्यवहारिक एवं तकनीकी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। बार-बार बैंक का चक्कर लगाना पड़ रहा है, सामग्री क्रय हेतु संबंधित दुकानों के पास जाकर उनका खाता नंबर सहित वेंडर बनाने की प्रक्रिया को पूरी करनी पड़ रही है।
कंप्यूटर के माध्यम से वेंडर फाइल बनाकर बैंक में जमा करना पड़ रहा है। साथ ही अलग-अलग खातों में राशि जमा करनी पड़ रही है। जिसके अंतर्गत स्कूलों की रंगाई पुताई के लिए पेंट की दुकान में पेमेंट करना, उसके खाते में राशि डालना।
पेंटिंग के लिए मिस्त्री अथवा पेंटर के खाते में राशि डालना, शौचालय में टाइल्स लगाने, मार्बल व टाइल्स मिस्त्री के खाते में राशि डालना, रजिस्टर खरीदने के लिए खाते में राशि डालना पड़ रहा है। उपरोक्त सबकुछ के बाद भी राशि आहरण के लिए एक निश्चित समय सीमा तैयार कर दी गई है तथा जल्दी से जल्दी राशि आहरण करने की बातें कही जा रही है।
पिछले वर्ष भी लगभग 15 मार्च को राशि स्कूलों में प्रदान की गई थी जिसे 30 मार्च तक खर्च करने के लिए कहा गया था। जिस स्कूलों में 30 मार्च तक राशि खर्च नहीं की गई थी उन स्कूलों का राशि लैप्स हो गया था।
साथ ही स्कूलों के छोटे-छोटे कार्य जैसे बर्तन और अन्य चीजें खरीदने के लिए वेंडर बनाने पड़ रहे है। उपरोक्त संबंध में नियमों को सरकार ने काफी जटिल एवं कठिन बना दिया है जिसके कारण राशि आहरण हेतु नियमों के पालन करने में प्रधान पाठकों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। साथ ही साथ एड़ी चोटी का जोर लगाना पड़ रहा है।
उपरोक्त संबंध में प्रधान पाठक मंच ने मीडिया के माध्यम से राज्य और केंद्र सरकार को स्पष्ट रूप से कहा है कि यदि राशि आहरण करने के संबंध में नियमों में शिथिलता नहीं बरती गई तो पूरे प्रदेश भर में उपरोक्त शालानूदान मद की राशि का बहिष्कार किया जाएगा। जिसकी संपूर्ण जवाबदारी सरकार की होगी
स्कूल मरम्मत एवं शालानुदान हेतु फंड की राशि बढ़ाए सरकार –
संघ के प्रांताध्यक्ष जाकेश साहू ने बताया कि शाला अनुदान की राशि, साला मरम्मत, लिपाई पुताई एवं सामग्री क्रय के लिए फंड की राशि में वृद्धि किया जाना चाहिए।
प्रतिवर्ष प्रत्येक स्कूलों को कम से कम दो से तीन लाख रुपए की राशि प्रदान किया जाना चाहिए। क्योंकि आज की तारीख में सभी चीजें काफी महंगी हो चुकी है। स्टेशनरी खरीदना, स्कूलो का सारे छोटे बड़े कार्य के लिए पैसों की आवश्यकता पड़ती है। इसके लिए स्कूल में कम से कम दो से तीन लाख रुपए सालाना आवश्यक होती है।
राज्य एवं केंद्र सरकार को चाहिए कि प्रत्येक स्कूलों को प्रतिवर्ष कम से कम दो से तीन लाख रुपए का अनुदान राशि स्कूलों को प्रदान किया जाना चाहिए।