रायपुर //-शिक्षाकर्मियों का शिक्षा विभाग में संविलियन से पूर्व संस्कृत और हिन्दी को अलग-अलग विषय मानकर दोनो विषयों के योग्यता धारियों को अलग अलग पदोन्नति दी गई थी।
लेकिन 2018 में संविलियन पश्चात इस बार सहायक शिक्षको का यूडीटी के पदों पर वन टाइम रिलेक्सेशन के तहत पहली बार पदोन्नति हो रही है। परंतु देखा यह जा रहा है कि पदोन्नति हेतु संभागों से अलग अलग विषयों की जो वरिष्ठता सूची मंगाई जा रही है उसमे कुछ संभागों में संस्कृत और हिंदी को एक विषय माना जा रहा।
इस पर संगठन ने आपत्ति जताई है। “छत्तीसगढ़ प्रधान पाठक/यूडीटी मंच” एवं “शिक्षक एलबी संवर्ग छत्तीसगढ़” के प्रदेश अध्यक्ष जाकेश साहू, कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष परसराम निषाद, केशव पटेल, उत्तम कुमार जोशी, महेश्वर कोटपरिहा, परमेश्वर साहू, सुनील गुप्ता, निर्मल भट्टाचार्य एवं रामकुमार यादव ने प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए बताया कि संस्कृत और हिंदी अलग-अलग विषय हैं।
अब तक विभाग में यह देखा जा रहा है कि हिंदी और संस्कृत को अलग-अलग विषय मानकर दोनों की पदोन्नति अलग-अलग होती है। अर्थात संस्कृत में स्नातक योग्यता धारियों को संस्कृत विषय के तहत पदोन्नति दी जाती है। इसी प्रकार हिंदी साहित्य में स्नातक योग्यता धारियों को हिंदी विषय पर पदोन्नति दी जाती है।
हिंदी और संस्कृत दोनों को एक विषय मानकर पदोन्नति देना यह उचित नहीं है। संगठन ने यह मांग प्रदेश सरकार एवं लोकशिक्षण संचनालय से किया है कि संस्कृत को एक स्वतंत्र अलग विषय मानकर संस्कृत स्नातक योग्यताधारियों की पदोन्नति उक्त विषय में की जाए।
साथ ही हिंदी विषय के रिक्त पदों पर हिंदी साहित्य में स्नातक योग्यता धारियों को पदोन्नति दी जाए।