लखनऊ : महंगाई की मार और बढ़ेगी, इस बजट ने आम आदमी का बोझ बढ़ाया, शिक्षा और स्वास्थ्य का बजट भी घटाया: अभिमन्यु त्यागी ( प्रदेश प्रवक्ता कांग्रेस )

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लखनऊ: प्रदेश प्रवक्ता अभिमन्यु त्यागी ने बजट 2023 को लेकर कहा कि चुनावी वादे की तरह ही बजट में वादे किए गए हैं। लघु, मध्यम और व्यापारियों के लिए कोई ठोस योजना दिखाई नहीं दे रही है। शिक्षा, स्वास्थ्य को लेकर कोई गंभीर बातें दिख नहीं रही हैं। मध्यम वर्गीय और वेतन कर्मचारियों को कोई राहत नहीं मिली। टैक्स में छूट में भी केवल आंकड़ेबाजी की गई है। महिलाएं और वरिष्ठ नागरिक को बचत में छूट देने की बात कही गई है, लेकिन इस महंगाई में बचत कैसे होगी, यह बताया नहीं गया है। निराशाजनक बजट है।

जनता को दी जाने वाली  सब्सिडी पर मोदी सरकार की नजर लग गई।

LPG सब्सिडी: 75% कटौती

खाद्य सब्सिडी: 31% कटौती

उर्वरक सब्सिडी: 22% कटौती

मोदी सरकार ने गरीबों की दी जाने वाली सब्सिडी योजनाओं के बजट में करीब 1,59,000 करोड़ रुपए की कटौती की है।

PM किसान सम्मान निधि में 68000 करोड़ रुपए आवंटित किए थे, 60000 करोड़ खर्च किया

शिक्षा में आवंटित था 104000 करोड़, खर्च किया 99000 करोड़ 

स्वास्थ्य पर 86000 करोड़, खर्च करना किया 77000 करोड़।

एमएसएमई (msme) गारंटी इमरजेंसी लाइन स्कीम के लिए-

बजट 2022-23: 15000 करोड़ रुपए से घट कर 

बजट 2023-24 में 14100 करोड़ हुई। 

प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना – नए aiims और मेडिकल कॉलेज स्थापना स्कीम:  

बजट 2022-23 – 10,000cr

बजट 2023-24 – 3,365 करोड़

पिछले नौ साल में ये शिक्षा के बज़ट को लगातार घटाते गये हैं।

समग्र बजट के रूप में ग्रामीण और विकास बजट घटाया गया।

 2022-23 (रिवाइज एस्टीमेट ) – 5।  81%

 2023-24 (बजट एस्टीमेट) – 5।  29%

मनरेगा का बजट 73000 करोड़ रुपए से घटकर 60,000 करोड़ रुपए हुआ।

शिक्षा, स्वास्थ्य में कटौती:-

शिक्षा:

2.64% से घटकर 2.51% 

स्वास्थ्य:

2.20% से घटकर 1.98%

मोदी सरकार और वित्तमंत्री ने दावा किया कि प्रति व्यक्ति आय दुगनी हुई जबकि आंकड़े बताते हैं कि हकीकत ये है कि प्रति व्यक्ति आय के मामले में  197 देशों की सूची में भारत 142 वें स्थान पर है।

सरकार का दावा है कि 80 करोड़ लोगों को मुफ्त अनाज दिया जाता है जबकि हकीकत ये है की भुखमरी के मामले में भारत 121 देशों में 107 वें स्थान पर है।

सरकार का दावा है कि रोजगार को बढ़ावा दिया। जबकि हकीकत ये है कि भारत की बेरोजगारी दर 8.3% है।

सरकार का दावा है कि बड़े पैमाने पर शिक्षकों की भर्ती करेंगे जबकि हकीकत ये है कि देश के सेंट्रल विश्विद्यालयों, आईआईटी और आईआईएम में शिक्षकों के 11,000 पद खाली हैं।

सरकार दावा करती है कि ग्रीन एनवायरनमेंट बनाया जा रहा है जबकि हकीकत ये है कि वर्ल्ड एयर क्वालिटी रिपोर्ट के मुताबिक भारत के 35 शहर दुनिया के शीर्ष 50 बेहद प्रदूषित शहरों में है।

बजट 2023 में किसान, मजदूर, मध्य वर्ग, छोटे व्यापारी, छोटे व मंझोले उद्योग, नौकरीपेशा को कुछ नही मिला। बजट में मजदूर की सब्सिडी काटी गई, क्या मजदूर आधे पेट खाकर जी लेगा?

शिक्षा, सब शिक्षित हो जायेंगे तो लूट की सियासी दुकान बंद होने का खतरा!

स्वास्थ्य, स्वस्थ होना मतलब रोजगार मांगेंगे, रोजगार देना पड़ा तो झूठे जुमले, छल, कपट, प्रपंच के सहारे सत्ता प्राप्त करने वाले #सत्ताभोगियों का ऐशोआराम खतरे में!

कर छूट : कर छूट मामूली हुई, प्रचार और शब्दों की बाजीगिरि से जनता को छला गया।

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