नई दिल्ली/रिपोर्ट/एस रागिब अली…
केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण अपने कार्यकाल के पांचवें आम बजट को पेश करते हुए हर वर्ग के लिए कुछ न कुछ सोगात देने की कोशिश की है। इस वर्ष नो राज्यों में विधानसभा चुनाव है और 2024 में लोकसभा चुनाव भी लेकिन प्रथम द्रष्टया इस बजट में यह प्रतीत होता है कि उन्होंने ग्रामीण,व शहरी मतदाताओं को रिझाने की भरपूर कोशिश की है। मोदी सरकार के सड़क व राष्ट्रीय राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने अक्सर यह कहने में संकोच नहीं किया है कि बजट में मध्यम वर्ग को कोई घास नहीं डाली जाती है, लेकिन इस बार बजट में उनका विशेष ध्यान रखा गया है।
पर इस बजट में आयकर दाताओं को नये और पुराने टेक्स भ्रमजाल में फंसा भी दिया है। करदाता असमंजस की स्थिति में अपने को घिरा हुआ देख रहा है। वित्त मंत्री ने पुराने टैक्स पेयर को कोई राहत नहीं दी है। जबकि इस समय 90 प्रतिशत से अधिक करदाता पुराने टैक्स राज से ही अपना कर अदा कर रहे हैं। जिसमें आयकर की धारा 80 सी के तहत डेढ़ लाख रुपए सालाना बचत निवेश पर छूट मिलती थी।
वित्त मंत्री के अनुसार प्रत्येक वेतन भोगी व्यक्ति को जिसकी आय 15.5लाख रूपए या उससे अधिक है उसे 50 हजार रुपए से ज्यादा का लाभ मिलेगा, इस बार बजट में मजदूर व निचले तबके के लिए को कोई ठोस एवं विशेष घोषणा नहीं की गई है
सिर्फ लोक लुभावन वादे के, इस बजट में निर्मला सीतारमण ने बहुत जोर देकर ग्रामीण मतदाता को रिझाने की भरपूर कोशिश की है। प्रधानमंत्री आवास योजना के परिव्यय 66 प्रतिशत बढ़ाकर 79590 करोड़ रुपए कर दिया है। लेकिन वित्त मंत्री के दस्तावेज बताते हैं कि पिछले साल इस पर 77130करोढ़ रूपए आने का इस पर अनुमान है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी की सबसे सफल व पसंदीदा योजना प्रधानमंत्री सड़क योजना में के परिव्यय में पहले के और अब के परिचालन में कोई बढ़ोतरी नहीं की गई है।
बजट बनाते समय वित्त मंत्री के ऊपर चुनावों का अधिक भार दिखाई दिया है। कर्नाटक राज्य में सूखे की स्थिति से निपटने के लिए 5300 करोड़ रुपए दिए गए हैं। कर्नाटक राज्य में भाजपा की सरकार है लेकिन यहां इस बार चुनाव में भाजपा की स्थिति यहां डांवाडोल है। 2023 में यहां विधानसभा चुनाव है। केरल तमिलनाडु वा उड़ीसा राज्य में आई प्राकृतिक आपदाओं के लिए कभी बजट में प्रावधान नहीं किया गया जो कि इस बार बजट में वह भी किया गया है इस आम बजट में आखिरी पायदान पर खड़े व्यक्ति के लिए तो निराशा ही हाथ लगी है, महिलाओं,युवाओं के लिए सरकार के कोई स्पष्ट दिशा निर्देश नहीं दिखाई दीये, वेसे तो हर वर्ग को कुछ न कुछ मिलता हुआ दिखाई दिया पर ज़मीन स्तर पर कुछ भी नहीं दिखता, केवल मोदी गवर्नेंस का महीमा मंडन एवं प्रचार प्रसार भर है इस आम बजट में आम आदमी को पहले की तरह इस बार भी हाथ कुछ नहीं लगा।।